पर्यावरण के प्रकार:

पर्यावरण को हम दो भागों में बाँट सकते हैं

1. प्राकृतिक (भौतिक) पर्यावरण 

2. मानवीय (सामाजिक) पर्यावरण 

  1. प्राकृतिक पर्यावरण- इसके अन्तर्गत पर्यावरण का वह हिस्सा आता है जो प्रकृति हमें प्रदान करती है जैसे-जल, हवा, मिट्टी, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु, सूर्य, नदी, पहाड़ आदि। इनको हम स्वयं नहीं बना सकते हैं। 

प्राकृतिक पर्यावरण को हम पुनः दो भागों में बाँट सकते हैं-

  1. जैविक पर्यावरण- इसके अन्तर्गत सभी प्रकार के जीव-जन्तु, मनुष्य और पेड़- पौधे आते हैं। 
  2. अजैविक पर्यावरण- यह स्थल (भूमि), जल और वायु से मिलकर बना है। इसके तीन रूप है। 

स्थलमण्डल- पृथ्वी की सतह के ठोस भाग को स्थलमण्डल अथवा भूमण्डल कहते हैं। इसके अन्तर्गत पर्वत, पठार, रेगिस्तान, मैदान आदि आते हैं।

जलमण्डल- पृथ्वी के जल वाले सभी भागों को सम्मिलित रूप से जलमण्डल कहते हैं। पृथ्वी का तीन चैथाई भाग जल से घिरा है। इसके अन्तर्गत महासागर, सागर, नदी, तालाब, झील, नहर, नाले आदि आते हैं। 

वायुमण्डल- पृथ्वी के चारों ओर पाई जाने वाली वायु वायुमण्डल का निर्माण करती है। वायुमण्डल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाई-ऑक्साइड, ऑर्गन आदि गैसें पाई जाती हैं। 

मानवीय (सामाजिक) पर्यावरण- ऐसी वस्तुएँ जो मनुष्य द्वारा निर्मित हैं जैसे-मकान, सड़क, बाजार, गाँव, शहर, रेल, मोटर, वायुयान आदि हमारे   सामाजिक पर्यावरण के भाग हैं। सामाजिक पर्यावरण का निर्माण हम प्राकृतिक

पर्यावरण की सहायता से करते हैं। घर-परिवार, गाँव-शहर, बाजार, पंचायत, थाना, डाकखाना, विद्यालय, अस्पताल, कल-कारखाने आदि संस्थाएँ, सामाजिक पर्यावरण के अंग हैं।

हम अपने त्योहारों, परम्पराओं, विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाजों का पालन समाज में रहकर ही करते हैं। मेलों, उत्सवों, नृत्य, कला एवं संगीत सम्बन्धी कार्यक्रमों का आयोजन भी समाज में ही होता है। इनसे मिलकर हमारा सामाजिक पर्यावरण बनता है।

अभ्यास प्रश्न

ऊपर वर्णित पैराग्राफ को ध्यान से पढ़िए और निम्नलिखित का उत्तर दीजिए।

अभ्यास 3 – पर्यावरण के प्रकार
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