UP Board Class 7 Agricultural Chapter 7 Fal Parichan

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अभ्यास के प्रश्न

1. सही उत्तर पर सही () का निशान लगाइये

i) फल तथा सब्जियों को बिना खराब हुए अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है –

क) परिरक्षक द्वारा  ()

ख) वास्तविक अवस्था में रखकर

ग) केवल सुखाकर

घ) पकाकर

ii) स्कवैश तैयार किया जाता है

क) नीबू  ()

ख) केला

ग) सेब

घ) अंगूर

iii) परिरक्षक के रूप में प्रयोग किया जाता है-

क) सोडियम बेन्ज़ोएट  ()

ख) पानी

ग) नमक

घ) जीवाणु

iv) डिब्बा बन्दी करने हेतु पात्र को भरने से पहले-

क) पानी से धो लेना चाहिए

ख) धूप में रखना चाहिए

ग) खौलते पानी में उबालना चाहिए   ()

घ) पात्र को ठीक से साफ कर लेना चाहिए

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

क) फल तथा सब्जियों को बिना खराब हुए अधिक दिनों तक सुरक्षित रखना फल परिरक्षण कहलाता है।

ख) बैक्टीरिया तथा कवक 70-100 डिग्री से. ताप पर नष्ट हो जाते हैं।

ग) फल तथा उससे निर्मित पदार्थ को कवक या फफूँद नष्ट कर देते हैं।

घ) नीबू का स्कवैश तैयार करने के लिए ताजे फल लेना चाहिए।

ङ) पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट एक परिरक्षक है।

3. निम्नलिखित कथनों में सही पर सही () तथा गलत पर गलत (×) का निशान लगाइये।

क) फल तथा सब्जियों को अधिक दिनों तक बिना खराब हुए सुरक्षित रखना फल परिरक्षण कहलाता है।   ()

ख) बैक्टीरिया द्वारा फलों को अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।    (×)

ग) कवक, खमीर तथा एन्जाइम द्वारा फल तथा उससे निर्मित उत्पाद खराब हो जाते हैं।  ()

घ) केला से स्क्वैश तैयार किया जाता है।    (×)

4. स्तम्भ `क’ का स्तम्भ `ख’ से सुमेल कीजिए।

उत्तर-

स्तम्भ `क’ स्तम्भ `ख’
1. मुरब्बा बनाया जाता है। आँवला
2. सॉस तैयार किया जाता है। टमाटर
3. मुरब्बा में चीनी की मात्रा 70 प्रतिशत होती है।
4. खमीर का प्रभाव मुख्य रूप से पेय पदार्थों पर ही पड़ता है।

 

5. 1) बैक्टीरिया, फल तथा फल पदार्थों को कैसे नष्ट करते हैं?

उत्तर-

अधिकाँश जीवाणु क्लोरोफिल रहित होते हैं। अत: इन्हें अपना जीवन-यापन अन्य पदार्थों पर करना पड़ता है। यही कारण है कि फल और फल पदार्थों पर इन जीवाणुओं का आक्रमण हो जाने के कुछ समय बाद वे सड़ने लगते हैं

2) बोतल बन्दी में पात्र को खौलते पानी में क्यों उबालते हैं?

उत्तर-

बोतल बन्दी में पात्र को खौलते पानी उबालते है। इससे इनके अन्दर और बाहर के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

3) आँवले का मुरब्बा कैसे बनाया जाता है?

उत्तर-

आँवले का मुरब्बा बनाना-

इसके लिए सर्वप्रथम आँवले के फलों को अच्छी तरह धोकर उनको स्टेनलेस स्टील के काँटों या लकड़ी के काँटों द्वारा अच्छी तरह गोदा जाता है। तत्पश्चात 2 प्रतिशत फिटकरी का घोल बनाकर उबाल लेते हैं एवं इस उबलते हुए घोल में आँवले को 5-10 मिनट तक पका लेते हैं। इसके बाद एक किग्रा आँवले के लिए डेढ़ किग्रा की दर से चीनी लेते हैं। एक भगोने में पहले चीनी की तह बिछाते हैं और इसके ऊपर एक तह आँवले की लगा दी जाती है। इस प्रकार आवश्यकतानुसार फल तथा चीनी की तह लगाते हैं। आँवले को चीनी की तहों के बीच चौबीस घण्टों तक रख देते हैं।

दूसरे दिन अधिकांश चीनी पिघल जायेगी। अब आँवले को चीनी के घोल से निकाल कर घोल की चाशनी तैयार कर लेते हैं। इस चाशनी में आँवले को चौबीस घण्टों तक के लिए छोड़ दिया जाता है। तीसरे दिन फिर आँवले को निकालकर चाशनी को इतना पकाते हैं कि उसमें चीनी की मात्रा 70 प्रतिशत हो जाय। ऐसी अवस्था में आँवले को गरम चाशनी में डाल देते हैं। लगभग 20-25 दिन में मुरब्बा खाने के योग्य हो जाता है।

4) नींबू का स्कवैश बनाने के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है?

उत्तर-

नीबू का रस 1 लीटर
पानी 2 लीटर
चीनी 2 किग्रा
सिट्रिक अम्ल आवश्यकता पड़ने पर (10ग्राम)
पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट 3 ग्राम

5) पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट क्या है? इसके प्रयोग की विधि समझाइये।

उत्तर-

पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट-

पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट एक परिरक्षक है। इसको उपयोग में लाने से पहले थोड़े से पानी में घोल लेते हैं।

6) नीबू अथवा सन्तरा स्कवैश बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

बनाने की विधि-

सर्वप्रथम स्टेनलेस स्टील के एक बड़े भगौने में 1 लीटर पानी डालते हैं फिर उसमें चीनी डाल कर चूल्हे पर गर्म करते हैं। बीच-बीच में रस को चलाते रहते हैं। एक उबाल आने के पश्चात जूस को चूल्हे से उतार लेते हैं। चाशनी ठण्डी होने पर नीबू का रस और पोटैशियम मेटाबाईसल्फ़ाइट को मिला दिया जाता है। परिरक्षक पहले थोड़े पानी में घोल लेते हैं तब जूस में मिलाते हैं। अब स्कवैश तैयार हो गया। इसके बाद इसे बोतल या जार में ऊपर से 3 सेमी जगह छोड़कर भरते हैं। तत्पश्चात बोतलों में ढक्कन लगाकर सील कर देते हैं।

7) फल तथा उससे निर्मित पदार्थ किन-किन कारणों से खराब होते हैं? समझाकर लिखिये।

उत्तर-

फल तथा फल से बने उत्पाद के खराब होने के मुख्य कारक हैं- कवक या फंफूद, खमीर, जीवाणु (बैक्टीरिया) आदि हैं।

अधिकांशतः ये क्लोरोफिल रहित होते हैं। अत: इन्हें अपना जीवन-यापन अन्य पदार्थों पर करना पड़ता है। यही कारण है कि फल और फल पदार्थों पर इनका आक्रमण हो जाने के कुछ समय बाद वे सड़ने लगते हैं।

 

 

 

 

 

 

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