UP Board Class 7 Agricultural Chapter 6 Bagwani evam vriksharopan

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अभ्यास

1.सही विकल्प छाँटकर अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखिए-

i) वाटिका में
(क)केवल फूलों के पौधे लगाए जाते हैं
(ख)केवल फलों के पौधे लगाए जाते हैं।
(ग) केवल सब्जियों के पौधे लगाए जाते हैं।
(घ) फूल और सब्जियों दोनों के पौधे लगाए जाते हैं।

उत्तर- विकल्प (क) केवल फूलों के पौधे लगाए जाते हैं।

ii) नींबू की किस्म है

(क) पूसा जाइण्ट

(ख) इटालियन

(ग) वाशिंगटन

(घ) कोयंबटूर

उत्तर- विकल्प (ख) इटालियन

2.सही कथनों पर सही () तथा गलत पर (×) का निशान लगाइये-
उत्तर-
(i)
वाटिका में पेड़-पौधे सघन लगाने चाहिए।   (×)
(ii) लीची ऊष्ण प्रदेशीय फल है।     ()
(iii) कलम बीज द्वारा लगाई जाती है।   (×)

3. i) वाटिका अविन्यास में किन बातों का ध्यान रखते हैं?

उत्तर-

वाटिका अविन्यास में निम्न बातों का ध्यान रखते हैं-

i) पेड़ तथा पौधे सघन नहीं लगाने चाहिये।

ii) मार्ग के दोनों ओर झाड़ियाँ लगानी चाहिए। झाड़ियाँ सुन्दर पत्तियों, फूलों वाली होनी चाहिए।

iii) शोभाकारी वृक्ष और झाड़ीनुमा पेड़ एक किनारे पर लगाने चाहिए।

iv) लतायें स्तम्भों के सहारे लगानी चाहिए।

v) अलंकृत पत्तियों वाले और छाया चाहने वाले पौधे छायादार स्थानों लगाने चाहिए।

vi) वाटिका में फूलवाले पौधों को इस व्यवस्था के साथ लगाना चाहिये कि वर्ष के हर महीने फूल खिलते रहें।

vii) सिंचाई के लिए क्यारी आवश्यकता के अनुसार बनानी चाहिए।

3. ii) मौसमी फूल कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर-

मौसमी फूल निम्न प्रकार के होते हैं-

जाड़ा- गेंदा, हालीहाँक, डहेलिया आदि।

गर्मी- सूरजमुखी, कोचिया आदि।

बरसात– मुर्ग केश, बालसन आदि।

iii) लीची की प्रजातियाँ लिखिए?

उत्तर-

देहरादून, सहारनपुर प्याजी, गोला, कलकतिया आदि लीची की प्रजातियाँ हैं।

iv) नींबू का प्रवर्धन कैसे किया जाता है?

उत्तर-

नींबू का प्रवर्धन बीज द्वारा अथवा वानस्पतिक भागो द्वारा किया जाता है।

4.लीची की खेती का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

लीची की खेती

भूमि

इसके लिए मृत्तिका दोमट भूमि सर्वोत्तम है।

प्रवर्धन-

  1. बीज बोकर
  2. दाब कलम लगाकर
  3. भेंट कलम लगाकर
  4. मुकुलन द्वारा
  5. गूटी द्वारा

पौधे रोपने का समय-

लीची के पौधे वर्षा ऋतु में खेत में रोपे जाते हैं। सिंचाई की सुविधा होने पर फरवरी-मार्च में भी खेत में रोपा जा सकता है।

खाद और उर्वरक-

लीची के उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक का बहुत महत्व है। इनका प्रयोग उचित समय पर करते रहना चाहिए।

सिंचाई तथा जल निकास-

पौधों में फूल आने से पूर्व और उसके बाद फल लगने तक 2 से 3 सिचाइयॉं करनी चाहिए। दिसंबर से मई तक इसमें सिंचाई करना आवश्यक है।

निराई-गुड़ाई-

सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई करना चाहिए।

काट-छॉंट-

प्रारंभ में काट-छॉंट करना चाहिए।

फल तोड़ना

फलों के साथ 20-25 सेंटीमीटर की टहनियॉं भी तोड़ ली जाती है।

5. नींबू के प्रवर्धन की विधियों का सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर-

नींबू वर्गीय फल वृक्षों का प्रवर्धन बीज द्वारा अथवा वानस्पतिक भागो द्वारा किया जा सकता है। जैसे कलम बाँधना, दाब लगाना, गूटी, भेंट कलम और चश्मा चढ़ाना इत्यादि।

दाब कलम-

दाब कलम में टहनी मातृ पौधे से जुड़ी रहने देते हैं। टहनी को थोड़ा झुका कर जमीन की मिट्टी में दबा देते हैं। जब उसमें जड़े आ जाती हैं और टहनी एक स्वतंत्र पौधे का रूप ग्रहण कर लेती है, तब उसे मातृ पौधे से अलग करके स्थाई जगह में लगाते हैं।

दाब कलम

दाब कलम

6. प्रवर्धन किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?

उत्तर-

प्रवर्धन

एक बीज से अनेक बीज और इन बीजों के द्वारा अनेक पौधे प्राप्त होते हैं। एक से अनेक पौधे तैयार करने को प्रवर्धन कहा जाता है।

प्रवर्धन दो प्रकार का होता है-

i) बीज द्वारा प्रवर्धन

ii) कायिक प्रवर्धन

7. बीज प्रवर्धन और कायिक प्रवर्धन में अन्तर बताइए।

उत्तर-

बीज प्रवर्धन व कायिक प्रवर्धन में अन्तर–

बीज प्रवर्धन में बीज के द्वारा नया पौधा तैयार होता है, जबकि कायिक प्रवर्धन में जड़, तना, शाखा, पत्ती, कली द्वारा नया पौधा तैयार होता है।

8. कायिक प्रवर्धन से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर-

कायिक प्रवर्धन के लाभ-

i) फल का पेड़ जल्दी फलने लगता है।

ii) पेड़ पर फल एक ही समय में पकते हैं।

iii) मातृ पौधे के सभी गुण होते हैं।

iv) पेड़ छोटे तथा कम फैलने वाले होते हैं जिससे कृषि कार्य और देखभाल करने में आसानी होती है।

v) अनेक लाभकारी गुणों का समावेश किया जा सकता है।

9. वाटिका अभिविन्यास से आप क्या समझते हैं?

उत्तर-

कौशलपूर्ण रेखांकन आदि द्वारा वाटिका को बहुत सुंदर रूप में स्थापित करना वाटिका अभिविन्यास कहलाता है।

10. पपीता की उन्नतशील खेती का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

पपीता की खेती

मिट्टी-

बलुई दोमट या दोमट भूमि इसके लिये उपयुक्त होती है।

प्रवर्धन-

यह मुख्यतः बीज द्वारा तैयार किया जाता है।

रोपाई का समय-

पपीता की जून-जुलाई में रोपाई करना सर्वोत्तम होता है‌।

खाद तथा उर्वरक-

प्रति वर्ष प्रति पेड़ 2 टोकरी गोबर की खाद तथा 250 ग्राम नत्रजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस तथा 500 ग्राम पोटाश को 2 महीने के अंतर पर 6 बार में देना उत्तम रहता है।

सिंचाई

सर्दियों में 10-15 दिन बाद गर्मियों में 6-7 दिन बाद सिंचाई करना चाहिए।

निराई-गुडा़ई-

निराई-गुडा़ई करके क्यारियों को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए।

फलों की तुड़ाई

फलों पर पीलापन आने के बाद उन्हें तोड़ना चाहिए।

11. कलम लगाना व दाब लगाना में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

सामान्य कलम लगाने में टहनी का जड़ निकलने से पहले मातृ पौधे से काट कर अलग करते हैं। दाब कलम में टहनी मातृ पौधे से जुड़ी रहने देते हैं। टहनी को थोड़ा झुका कर जमीन की मिट्टी में दबा देते हैं। जब उसमें जड़े आ जाती हैं और टहनी एक स्वतंत्र पौधे का रूप ग्रहण कर लेती है, तब उसे मातृ पौधे से अलग करके स्थायी जगह में लगाते हैं।

 

 

 

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