अभ्यास
1.सही उत्तर पर सही (✓) का निशान लगाइए-
(i) वजन के आधार पर वायुमण्डल में प्रतिशत नाइट्रोजन पाया जाता है-
(क) 60
(ख) 70
(ग) 78 (✓)
(घ) 90
(ii) अमोनियम सल्फेट में प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है-
(क) 15
(ख) 20 (✓)
(ग) 25
(घ) 30
(iii) सिंगल सुपर फॉस्फेट में प्रतिशत फॉस्फोरस की मात्रा पाई जाती है-
(क) 12
(ख) 16 (✓)
(ग) 20
(घ) 24
(iv) म्यूरेट ऑफ पोटाश में प्रतिशत पोटैशियम की मात्रा पाई जाती है-
(क) 40
(ख) 50
(ग) 60 (✓)
(घ) 70
(v) जटिल उर्वरक प्रकार के होते हैं-
(क) दो
(ख) तीन (✓)
(ग) चार
(घ) पाँच
(vi) जैव उर्वरक मृदा में बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं
(क) नाइट्रोजन (✓)
(ख) फॉस्फोरस
(ग) पोटाश
(घ) सल्फर
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) मृदा वायु में वजन के आधार पर नाइट्रोजन की 79 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (69/79)
(ii) यूरिया में नाइट्रोजन की 46 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (36/46)
(iii) डाई कैल्शियम फॉस्फेट में फॉस्फोरस की 32 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (22/32)
(iv) पोटैशियम सल्फेट में पोटाश की 48 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है। (38/48)
(v) मिश्रित उर्वरक सस्ता होता है। (सस्ता, महँगा)
(vi) राइजोबियम बैक्टीरिया मृदा में नाइट्रोजन स्थिर करता है। (फॉस्फोरस/नाइट्रोजन)
(vii) मृदा परीक्षण उर्वरता निर्धारण करने की एक रासायनिक विधि है। (भौतिक/रासायनिक)
3. निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए-
उत्तर-
स्तम्भ ‘क’ | स्तम्भ ‘ख’ |
i) कम्पोस्ट | कार्बनिक खाद |
ii) डाई अमोनियम फॉस्फेट | जटिल उर्वरक |
iii) सूक्ष्म जीव कल्चर | जैव उर्वरक |
iv) मृदा परीक्षण | उर्वरता निर्धारण |
v) नाइट्रोजन स्थिर करने वाली गांठें | दलहनी फसलें |
vi) सिंगल सुपर फॉस्फेट | अकार्बनिक उर्वरक |
4. निम्नलिखित कथनों में सही (✓) तथा गलत पर (×) का निशान लगाइए-
(i) यूरिया फॉस्फेटिक उर्वरक है। (×)
(ii) नाइट्रोजन को कृषि की मास्टर कुंजी कहा जाता है। (×)
(iii) रॉक फॉस्फेट में 20-40% फॉस्फोरस पाया जाता है। (✓)
(iv) फॉस्फोरस वायुमण्डल से बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रोजन को मृदा में स्थिर करने में सहायता करता है। (✓)
(v) पोटाश पौधों की जड़ों एवं तना को मजबूत बनाता है। (✓)
(vi) मृदा नमूना छायादार स्थानों से एकत्रित किया जाता है। (×)
5. खाद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
कार्बनिक पदार्थ जिससे पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है खाद कहलाते हैं।
उदाहरण– गोबर की खाद, हरी खाद आदि।
6. नाइट्रोजन उर्वरक का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन उर्वरकों का वर्गीकरण- रासायनिक रूप के आधार पर नाइट्रोजन उर्वरकों को निम्न वर्गों में बाँटा गया है
(1) नाइट्रेट उर्वरक
(2) अमोनियम उर्वरक
(3) अमोनियम और नाइट्रेट उर्वरक
(4) नाइट्रोजन घोल
(5) एमाइड उर्वरक
7. मृदा में नाइट्रोजन की कमी का पौधों पर प्रभाव बताइये।
उत्तर-
मृदा में नाइट्रोजन की कमी से पौधों की बढ़वार रुक जाती है। पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। फल छोटे-छोटे हो जाते हैं और पकने से पहले ही गिर जाते हैं।
8. फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण–
घुलनशीलता के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. जल में घुलनशील-
(i) सिंगल सुपर फॉस्फेट
(ii) मोनो अमोनियम फॉस्फेट
2. साइट्रेट घुलनशील-
(i) डाई कैल्शियम फॉस्फेट
(ii) बेसिक स्लैग
3. अघुलनशील-
(i) रॉक फॉस्फेट
(ii) हड्डी का चूरा
9. पोटाश का पौधों पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर-
पोटाश का पौधों पर प्रभाव–
यह पौधों की वृद्धि और फलों की चमक को बढ़ाता है। पौधों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। यह तना और जड़ों को मजबूत बनाता है। पोटाश की कमी से फसलें देर से पकती है।
10. मृदा परीक्षण क्यों कराना चाहिए?
उत्तर-
मृदा परीक्षण की आवश्यकता-
मृदा का परीक्षण किया जाता है जिससे पता चलता है कि मृदा फसल उगाने के योग्य है या नहीं, मृदा से अच्छी पैदावार मिल सकती है या नहीं।
11. जैव उर्वरक क्या है?
उत्तर-
जैव उर्वरक–
जैव उर्वरक सूक्ष्म जीव कल्चर होते हैं जो प्रायः मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ सूक्ष्म जीव कल्चर पौधों के लिए फॉस्फोरस की प्राप्यता को बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं और कुछ कार्बनिक पदार्थ को शीघ्रता से सड़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
12. नाइट्रोजन उर्वरकों का वर्गीकरण करके पौधों के लिए इनका महत्त्व लिखिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन उर्वरकों का वर्गीकरण- रासायनिक रूप के आधार पर नाइट्रोजन उर्वरकों को निम्न वर्गों में बाँटा गया है-
(1) नाइट्रेट उर्वरक
(2) अमोनियम उर्वरक
(3) अमोनियम और नाइट्रेट उर्वरक
(4) नाइट्रोजन घोल
(5) एमाइड उर्वरक
पौधों के लिए नाइट्रोजन उर्वरकों का महत्त्व-
नाइट्रोजन उर्वरक मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता है जो पौधों को निम्न प्रकार से प्रभावित करता है-
नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि में सहायता करता है। पौधों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ाता है। अनाजों के उत्पादन और प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि करता है। मृदा में नाइट्रोजन की कमी से पौधों की बढ़वार रुक जाती है।
13. फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण कीजिए एवं फॉस्फोरस का पौधों पर प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
फॉस्फेटिक उर्वरकों का वर्गीकरण–
घुलनशीलता के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1.जल में घुलनशील-
(i) सिंगल सुपर फॉस्फेट
(ii) मोनो अमोनियम फॉस्फेट
2. साइट्रेट घुलनशील-
(i) डाई कैल्शियम फॉस्फेट
(ii) बेसिक स्लैग
3. अघुलनशील-
(i) रॉक फॉस्फेट
(ii) हड्डी का चूरा
फॉस्फोरस का पौधों पर प्रभाव-
फॉस्फोरस के कारण पौधों की वृद्धि अच्छी और शीघ्रता से होती है।
14. पोटैशिक उर्वरकों का वर्गीकरण करते हुए पोटाश के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पोटैशिक उर्वरकों का वर्गीकरण-
पोटैशिक उर्वरकों को दो समूहों में बाँटा गया है–
1. पोटैशिक उर्वरक जिनमें क्लोराइड लवण उपस्थित होते हैं-
इस समूह का मुख्य उर्वरक म्यूरेट ऑफ पोटाश या पोटैशियम क्लोराइड है।
2. पोटैशिक उर्वरक जिनमें क्लोराइड लवण उपस्थित नहीं होते हैं–
इस समूह का मुख्य उर्वरक पोटैशियम सल्फेट है।
पोटाश का महत्त्व-
यह पौधों की वृद्धि तथा फलों की चमक को बढ़ाता है। पौधों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। यह तना और जड़ों को मजबूत बनाता है। पोटाश की कमी से फसलें देर से पकती है।
15. जैव उर्वरक का वर्गीकरण कीजिए तथा जैव उर्वरक के प्रयोग करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जैव उर्वरक का वर्गीकरण-
इन्हें निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया गया है-
क) नाइट्रोजन स्थिर करने वाले जैव उर्वरक
ख) फॉस्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जैव उर्वरक
ग) कार्बनिक पदार्थ को सड़ाने वाले जैव उर्वरक
जैव उर्वरक के प्रयोग करने की विधि–
राइजोबियम कल्चर के लिए 100-200 ग्राम गुड़ को एक लीटर पानी में गर्म करके घोल बना लेते हैं। 200 ग्राम कल्चर गुड़ के घोल में मिलाते हैं। इस मिश्रण को एक हेक्टेयर में प्रयोग किये जाने वाले बीज के साथ मिलाते हैं और 30 मिनट के लिए छोड़ देते हैं। इस प्रकार शोधित बीज को छाये में सुखाकर खेत में बो देते हैं।
16. मिश्रित उर्वरक से आप क्या समझते है? मिश्रित उर्वरक के लाभ एवं हानियों को समझाइये।
उत्तर-
दो या दो से अधिक उर्वरकों के मिश्रण को जिसमें दो या दो से अधिक पोषक तत्व उपस्थित हो मिश्रित उर्वरक या उर्वरक मिश्रण कहते हैं।
लाभ–
1. मिश्रित उर्वरक सस्ता होता है
2. इनसे पैदावार बढ़ जाती है
3. किसान बिना किसी परेशानी के इसका प्रयोग कर सकता है।
हानियाँ–
1. जब मृदा में केवल एक या दो तत्त्वों की कमी हो, तब मिश्रित उर्वरक का प्रयोग लाभकारी नहीं होता है।
2. मिश्रित उर्वरक में एक तत्त्व की अधिकता होती है जबकि दूसरे तत्त्व की कमी होती है।
17. जैव उर्वरक के लाभ लिखिए।
उत्तर-
जैव उर्वरक के लाभ-
1. जैव उर्वरक से भूमि की उर्वरता बढ़ती है।
2. वायुमण्डल नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक होता है।
3. जैव पदार्थों को तीव्रता से सड़ाने में सहायक होता है।
4. भूमि की जल धारण क्षमता को बढ़ाता है।
5. फसलों की उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
6. पर्यावरण संतुलन बनाये रखने में सहायक होता है।
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