पाठ-5 जल संचयन एवं पुनर्भरण

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अभ्यास

प्रश्न-1 निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लिखिए-

(क) वर्षा जल पुनर्भरण के लाभ बताइए?

उत्तर

वर्षा जल पुनर्भरण के लाभ-

जल पुनर्भरण से निम्न लाभ हैं-

  1. जल की उपलब्धता बढ़ती है।
  2. भूजल की गुणवत्ता बढ़ती है।
  3. सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलापूर्ति में सुधार होता है।
  4. फसलों को पानी उपलब्ध होता है।

(ख) भू-जल का स्तर नीचे क्यों गिरता जा रहा है?

उत्तर

भू-जल स्तर के नीचे गिरने के कारण-

भू-जल स्तर के नीचे गिरने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की बढ़ती हुई माँग।
  2. सिंचाई और औद्योगिक कार्यों के लिए मशीनों द्वारा अत्यधिक जल का उपयोग।
  3. वर्षा के बहते जल को एकत्र न करना।

(ग) भू-जल में वृद्धि कैसे की जा सकती है?

उत्तर

वर्षा जल संचयन तथा पुनर्भरण से भू-जल में वृद्धि की जा सकती है।

(घ) जनसंख्या वृद्धि का भू-जल पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर

जनसंख्या वृद्धि के कारण भू-जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है।

(ड.) वर्षा जल संचयन का अभिप्राय बताइए?

उत्तर

तालाब, पोखर, बाँध आदि बनाकर जब वर्षा के जल को हम रोककर रखते हैं तो उसे वर्षा जल संचयन कहते हैं।

(च) जल का आपके जीवन में क्या महत्त्व है?

उत्तर

जल का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है-

जीवन की विभिन्न गतिविधियों के लिए जल आवश्यक है। जल का उपयोग घरेलू कार्यों,  कृषि, उद्योग, मनोरंजन आदि में किया जाता है।

(छ) वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण क्यों आवश्यक है?

उत्तर

वर्षा जल संचयन एवं पुनर्भरण की आवश्यकता

जल की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए।

भूजल की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए।

सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जलापूर्ति में सुधार करने के लिए।

पानी का सतही बहाव कम करने के लिए।

(ज) अपने घर की छत के वर्षा जल का संचयन कैसे करेंगे?

उत्तर

घर से थोड़ी दूर पर 1 से 2 मीटर चौड़ा तथा 2 से 3 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर, गड्ढे को ईंट, कंकड़ तथा बजरी से भर देते हैं। फिर उसके ऊपर मोटी रेत डालते हैं। इस गड्ढे में छत पर गिरने वाले वर्षा के जल को पाइप द्वारा इकट्ठा करते हैं। पानी मोटी रेत से बजरी तथा बजरी से छनकर पत्थर के टुकड़ों से होता हुआ पिट से बाहर साफ जल के रूप में बडे़ टैंक में या भूमि के नीचे इकट्ठा किया जाता है।

प्रश्न-2 रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) समुद्र का जल खारा होने के कारण पीने के योग्य नही होता है।

(ख) भू-जल एवं भू-सतही जल प्रकृति द्वारा कम मात्रा में प्राप्त है।

(ग) तालाब, पोखर आदि जल संचयन के प्राचीन साधन रहे हैं।

(घ) भू-जल में वृद्धि जल संचयन करके कर सकते हैं।

(ङ) शहरों में पक्के मकानों के कारण वर्षा जल भूमि के अन्दर कम प्रवेश होता है।

(च) उन्नत किस्म के धान एवं गेहूँ की फसल उगाने के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है।

(छ) भारत की जल नीति वर्ष 1987 में बनाई गयी थी।

(ज) राष्ट्रीय जलनीति में जल को दुर्लभ एवं बहुमूल्य संसाधन के रूप में माना गया है।

प्रश्न- 3  सही जोड़े बनाएँ-

उत्तर

अ         
पन-बिजली जल विद्युत ऊर्जा
पुनर्भरण भू-जल भण्डार
गोदावरी नदी
जलभृत  वर्षा जल

 

 

 

 

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