अभ्यास के प्रश्न
1) सही उत्तर पर (✓) का निशान लगाइये–
i) चक्रवात को चीनी भाषा में क्या कहते है?
क) हरिकेन
ख) साइक्लोन
ग) टारनिडो
घ) टाईफून (✓)
ii) कौन सी प्राकृतिक आपदा हैं?
क) आँधी
ख) तूफान
ग) चक्रवात
घ) उक्त सभी (✓)
2) निम्नालिखित वाक्यों में खाली जगह भरिये–
क) आँधी चलने पर वायु की गति लगभग 85-95 किमी प्रति घण्टा होती है।
ख) वायु उच्च वायु दाब से निम्न वायु दाब की ओर चलती है।
ग) तूफान आने पर हवा की गति लगभग 95-115 किमी प्रति घण्टा होती है।
घ) वायु के गोलाकार या चक्करदार चलने को चक्रवात कहते है।
3) स्तम्भ `क’ को स्तम्भ `ख’ से मिलाइये।
उत्तर–
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
i) चीन | टाईफून |
ii) मैक्सिको की खाड़ी | हरिकेन |
iii) अफ्रीका | टारनिडो |
iv) बंगाल की खाड़ी | साइक्लोन |
v) भारत | तूफान |
4) आँधी एवं तूफान में क्या अन्तर है?
उत्तर–
आँधी आने पर वायु की गति लगभग 85-95 किमी प्रति घण्टा होती है जबकि तूफान आने पर हवा की गति लगभग 95-115 किमी प्रति घण्टा होती है।
5) चक्रवाती हवाएं चलने का कारण बताइए।
उत्तर–
चक्रवाती हवाएं चलने का कारण-
चक्रवात में हवा चक्कर लगाती हुई गोलाई में घूमती है। जब चक्रवात में गर्मी के कारण वायु ऊपर चली जाती है तो वहाँ निम्न वायु दाब का क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। उसके कारण आस- पास के क्षेत्र (उच्च वायु दाब) से ठंडी वायु आकर गोलाई से घूमने लगती है परन्तु केन्द्र तक न पहुँचकर दायीं दिशा व बायीं दिशा की तरफ मुड़कर गोलाई में घूमकर चक्करदार हो जाती है।
6) तूफान से कौन-कौन सी हानियाँ होती है?
उत्तर–
1) तूफान के आने से यातायात में बाधा आती हैं।
2) हवाई जहाज भी तूफान से प्रभावित होकर दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं।
3) तूफान फलदार वृक्षों तथा व्यवसायिक खेती को हानि पहुँचाते हैं ।
4) तूफान आने पर पेंड़ उखड़ जाते हैं और कमजोर मकान गिर जाते हैं ।
5) तूफान आने पर दूरसंचार भी प्रभावित होता हैं।
7) निम्नालिखित पर टिप्पणी लिखिए–
क) चक्रवात
ख) टिड्डी दल का प्रकोप
ग) नील गाय
उत्तर–
चक्रवात-
चक्रवात में हवा चक्कर लगाती हुई गोलाई में घूमती है। जब चक्रवात में गर्मी के कारण वायु ऊपर चली जाती है तो वहाँ निम्न वायु दाब का क्षेत्र उत्पन्न हो जाता हैं। उसके कारण आस- पास के क्षेत्र (उच्च वायु दाब) से ठंडी वायु आकर गोलाई से घूमने लगती है परन्तु केन्द्र तक न पहुँचकर दायीं दिशा व बायीं दिशा की तरफ मुड़कर गोलाई में घूमकर चक्करदार हो जाती है।
टिड्डी (Locust) दल का प्रकोप-
टिड्डिया करोड़ों की संख्या में कई किलोमीटर तक लम्बे दल बनाकर उड़ती हैं तथा मार्ग में पड़ने वाले हरे-भरे खेतों, बागों व पेंड़-पौधे की पत्तियों व फलों को खाकर सम्पूर्ण क्षेत्र को नष्ट कर देती हैं। इनके आक्रमण के पश्चात प्राय: अकाल पड़ जाता हैं।
नील गाय
नीलगाय एक वन्य-पशु हैं। इस को पाड़ा व घोड़रोज या वनरोज के नाम से भी जाना जाता हैं। इनका आकार घोंड़े के समान होता हैं। ये हल्के नीले रंग के होते हैं। इनका पिछला हिस्सा ऊचाँ होता हैं। इनकी टागें लम्बी होती हैं। गर्दन के नीचे बालों का एक गुच्छा होता है। नर में 8 इंच तक लम्बे सींग भी पाये जाते हैं। प्रजनन काल वर्ष भर होता हैं।
8) आँधी और तूफान से होने वाले लाभ तथा हानियों का वर्णन कीजिए?
उत्तर–
आँधी एवं तूफान से लाभ-
1) आँधी चलने पर प्रदूषित वायु के स्थान परिवर्तन से वायुमंडल शुद्ध होता है।
2) भारत में वर्षा, जाड़े के दिनों में चक्रवाती हवाओं के कारण होती हैं जिनसे फसलों को अधिक लाभ होता है।
3) समुद्र की लहरों में तीव्र गति के फलस्वरूप शंख, मोती, सीप एवं अन्य कीमती और दुर्लभ वस्तुएँ आसानी से समुद्र तट तक आ जाती है।
आँधी एवं तूफान से हानियाँ
1) आँधी एवं तूफान के आने से यातायात में बाधा आती हैं।
2) तूफान आने पर पेंड़ उखड़ जाते हैं तथा कमजोर मकान गिर जाते है।
3) आँधी एवं तूफान फलदार वृक्षों और खेती को हानि पहुँचाते हैं।
4) हवाई जहाज तूफान से प्रभावित होकर दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं।
5) आँधी और तूफान आने पर टेलीफोन के तार टूट जाते हैं और दूरसंचार प्रभावित होता हैं।
9) नीलगाय और टिड्डी दल फसल को कैसे हानि पहुँचाते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर–
नीलगाय का प्रकोप-
नीलगाय प्राय: झुण्ड में ही पाये जाते हैं। ये तीव्र गति से भागते हैं। छोटे पौधे, पेड़ों की पत्तियाँ इनके प्रिय भोजन है। इनके प्रकोप के कारण अरहर, चना, मटर व अन्य दलहनी फसलों की खेती अधिक प्रभावित होती है। बहुत थोड़े ही समय में नीलगाय खड़ी फसल नष्ट कर देती हैं।
टिड्डी (Locust) दल का प्रकोप-
टिड्डी एक हानिकारक कीट हैं। ये करोड़ों की संख्या में कई किलोमीटर तक लम्बे दल बनाकर उड़ती हैं तथा मार्ग में पड़ने वाले हरे-भरे खेतों, बागों व पेंड़-पौधे की पत्तियों व फलों को खाकर सम्पूर्ण क्षेत्र को नष्ट कर देती हैं।
10) उत्तरांचल की सन् 2013 की प्राकृतिक आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर–
जून 2013 में उत्तरांचल में एकाएक बादल फटने की घटना के साथ मूसलाधार वर्षा हुई। तेज एवं लगातार बारिश के कारण भूस्खलन होने लगा तथा त्वरित बाढ़ आ गयी। त्वरित बाढ़ ने केदारनाथ मन्दिर के आसपास बहुत तबाही की। बाढ़ के पानी का प्रवाह इतना तीव्र था कि जिसमें कई गाँव पूरे-पूरे बह गये। इस केदारनाथ त्रासदी में असीमित जनधन की हानि हुई।
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