जीव-जन्तुओं की पारस्परिक निर्भरता
हमारे प्राकृतिक पर्यावरण की रचना जैविक व अजैविक घटकों से मिलकर हुई है जिसमें दोनों घटक एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। ये दोनों घटक एक-दूसरे के पूरक हैं। हरे पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते हैं इसलिए ये स्वपोषी कहलाते हैं। सभी जीव-जन्तु भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर हैं। पौधों से अपना भोजन प्राप्त करने वाले जीव शाकाहारी कहलाते हैं, उदाहरण के लिए हिरन, खरगोश, गाय, टिड्डा आदि। इसी प्रकार कुछ ऐसे जन्तु होते हैं जो शाकाहारी जन्तुओं को अपने आहार के रूप में लेते हैं। इन्हें मांसाहारी जन्तु कहते हैं। जैसे-शेर, बाघ, भेड़िया आदि। मांसाहारी जन्तु विभिन्न प्रकार के जीवों जैसे-मेढ़क, मछली, हिरन, सांप आदि को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं। अन्त में सभी जन्तुओं का अवशेष फिर से मिट्टी में मिल जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक पर्यावरण का यह चक्र निरन्तर चलता रहता है।
अभ्यास प्रश्न
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